21 अक्टूबर 2024 सोमवार नई दिल्ली: कोई भी कंपनी कैसे अर्श से फर्श पर आ जाती है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण- एडटेक कंपनी बायजूस (Byju’s) है. लंबे समय से कंपनी आर्थिक परेशानियों से जूझ रही थी, कंपनी के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी पैसे नहीं थे. आलम ये है कि अब कंपनी की नेटवर्थ यानी कीमत शून्य हो चुकी है. बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन ने खुद ये बात कही और बताया कि कैसे ये कंपनी अर्श से फर्श पर आ गई.
बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने गुरुवार को कहा कि बायजू के तीन प्रमुख निवेशकों- प्रोसस, पीक XV पार्टनर्स और चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव का 2023 में एक ही समय में बोर्ड से इस्तीफा देना संकट भरे एडटेक फर्म के लिए सबसे बड़ा झटका था, जिससे कंपनी के लिए फंड जुटाना असंभव हो गया. एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, बदलाव के प्रति आशावादी लगते हुए उन्होंने कहा कि आज बायजू की कीमत शून्य है.
22 अबर डॉलर से 0 हुई कंपनी की वैल्यू
उन्होंने कहा कि प्रोसस जैसे निवेशकों ने एक समय में सबसे वैल्यूवेशन भारतीय स्टार्टअप में अपने निवेश को खत्म कर दिया है. रवींद्रन ने कहा कि निवेशकों ने बायजू को बस से खाई में ढकेल दिया. अगर वे इस्तीफा देने की जगह बदलाव या पुनर्गठन के लिए वोट की योजना बनाए होते तो कंपनी की हालत आज ऐसी नहीं होती. एडटेक कंपनी Byju’s की वैल्यू साल 2022 तक 22 अरब डॉलर थी, जो अब शून्य हो चुकी है.
3 साल में बर्बाद हुई कंपनी
रवींद्रन ने कहा कि बायजू कंपनी को लेकर कोई धोखाधड़ी नहीं की है. अगर ऐसा कुछ किया होता तो कंपनी से सबसे पहले पैसा फाउंडर (रवींद्रन) निकालते हैं, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, बल्कि हमने और पैसा लगाया. रवींद्रन ने कहा कि अमेरिकी कर्जदाताओं की ओर से 1.2 अरब डॉलर का टर्म लोन खतरनाक साबित हुआ. इसका उपयोग कंपनी के ग्रोथ पर ही खर्च किया गया, लेकिन जब BCCI से डील के बाद अमेरिकी कर्जदाताओं से विवाद बढ़ गया और उन्होंने लोन और ब्याज चुकाने का आदेश दे दिया. जिसके बाद ही निवेशकों ने भी कंपनी एक के बाद एक करके छोड़ दी. इसके बाद कंपनी की हालत खराब होती चली गई और 3 साल के अंदर ही कंपनी पूरी तरह से बर्बाद हो गई.
राइट्स इश्यू को लेकर निवेशकों से विवाद
नकदी संकट के बीच बायजू ने राइट्स इश्यू पेश किया था और इसे लेकर उसके निवेशकों ने मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाते हुए एक याचिका में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) दायर की थी. कंपनी के चार निवेशकों प्रोसस, जनरल अटलांटिक, सोफिना, और पीक XV (पूर्व में सिकोइया)- ने बायजू के 22 अरब डॉलर के हाई से 99 कम की वैल्यूएशन पर राइट्स इश्यू पर रोक लगाने की मांग की थी.
2011 में शुरू हुई थी कंपनी कंपनी
बायजूस की स्थापना 2011 में बायजू रवींद्रन और उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ ने की थी. देखते ही देखते बायजूस एक लर्निंग ऐप के तौर पर मशहूर हो गई. रवींद्रन ने खुद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उसके बाद उन्होंने 2006 में छात्रों को गणित की कोचिंग देनी शुरू की थी. साल 2015 में Byju’s लर्निंग ऐप लॉन्च किया. यह स्टार्टअप अगले 4 साल में यूनिकॉर्न हो गया. सबसे बड़ी उछाल कोरोना काल में जब स्कूल और कोचिंग बंद हुए तब देखने को मिली थी. साल 2022 तक ये कंपनी 22 अरब डॉलर की कंपनी थी, लेकिन अब इसकी वेल्थ शून्य हो चुकी है।