1 नवम्बर 2024 शुक्रवार नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2025 के बीच, नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने सीएम के एक भाषण का वीडियो शेयर करते हुए बड़ा दावा किया है.
यूपी में उपचुनाव को लेकर जहां एक ओर सभी दल अपनी तैयारियों को धार देने में जुटे हुए है.वहीं, दूसरी ओर सियासी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है. नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने उपचुनाव के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर समाज को बांटने का आरोप लगाया है. चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम का वीडियो साझा कर उन पर “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा देकर समाज को विभाजित करने का आरोप लगाया है. चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि मुख्यमंत्री एक सार्वजनिक मंच पर ‘हरिजन’ और ‘गैर-हरिजन’ जैसे शब्दों का प्रयोग करके समाज में भेदभाव फैला रहे हैं.
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हरिजन’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति
बताते चले कि, चंद्रशेखर आजाद ने अपने बयान में कहा कि 1982 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एक निर्देश जारी किया था, जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का उपयोग न करने की सलाह दी गई थी. इसके बाद 2010 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भी इस पर रोक लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए. यहां तक कि माननीय न्यायालय ने भी इसे अपमानजनक मानते हुए इस शब्द के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है.
संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री को जानकारी नहीं?
चंद्रशेखर आजाद ने सवाल उठाते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को क्या इन निर्देशों की जानकारी नहीं है? या फिर जानबूझकर ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग करके अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा इस शब्द का प्रयोग अनुसूचित वर्ग के लोगों के आत्म-सम्मान पर चोट पहुंचाता है.
बाबा साहेब अंबेडकर ने भी किया था विरोध
आपको बता दे कि, चंद्रशेखर ने अपने पोस्ट में लिखा कि महात्मा गांधी ने अछूतों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया था, जिसका बाबा साहेब अंबेडकर ने कड़ा विरोध किया था और इसे अपमानजनक माना था. चंद्रशेखर का कहना है कि यह सवाल उस समय भी उठाया गया था और आज भी प्रासंगिक है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछा कि अगर अनुसूचित जाति के लोग ‘हरिजन’ हैं, तो बाकी लोग किसके जन हैं?